गुरुवार, 1 अप्रैल 2010

बटवारा - तुष्टिकरण

बात उन दिनों की है जब हमारे गाँव में दो भाइयो में बटवारा हो रहा था /

मेरे पिता जी मध्यस्थ की भूमिका में थे/

बटवारे के समय यदि आधा आधा बटवारा होता तो एक दीवाल तोडना पड़ रहा था/

पिता जी ने बड़े भाई से कहा छोटे भाई के नाते आपको थोडा संतोष करते हुए छोटे भाई को दे देना चाहिए और इससे दीवाल भी नहीं तोड़नी पड़ेगी /

लेकिन !

बड़े भाई जो काफी सज्जन पुरुष है की बात सुनकर दीवाल तुडवाना पड़ा /

बड़े भाई ने कहा अब बटवारा हो ही रहा तो इतने नुकसान के बाद थोड़ा और नुकसान हम सह लेंगे /

क्या आप चाहते है की बटवारे के बाद भी इसी बात के लिए बाद हमारे बच्चे भी लड़ते रहें /


आज बटवारे के बाद भी उनके बच्चे लगभग एक परिवार की तरह रह रहें है, चूल्हे अलग हैं /