बात उन दिनों की है जब हमारे गाँव में दो भाइयो में बटवारा हो रहा था /
मेरे पिता जी मध्यस्थ की भूमिका में थे/
बटवारे के समय यदि आधा आधा बटवारा होता तो एक दीवाल तोडना पड़ रहा था/
पिता जी ने बड़े भाई से कहा छोटे भाई के नाते आपको थोडा संतोष करते हुए छोटे भाई को दे देना चाहिए और इससे दीवाल भी नहीं तोड़नी पड़ेगी /
लेकिन !
बड़े भाई जो काफी सज्जन पुरुष है की बात सुनकर दीवाल तुडवाना पड़ा /
बड़े भाई ने कहा अब बटवारा हो ही रहा तो इतने नुकसान के बाद थोड़ा और नुकसान हम सह लेंगे /
क्या आप चाहते है की बटवारे के बाद भी इसी बात के लिए बाद हमारे बच्चे भी लड़ते रहें /
आज बटवारे के बाद भी उनके बच्चे लगभग एक परिवार की तरह रह रहें है, चूल्हे अलग हैं /
गुरुवार, 1 अप्रैल 2010
बुधवार, 31 मार्च 2010
जरा सोचिये
जरा सोंचिये !
आज हम हर जगह फैले भ्रस्टाचार के लिए सरकार को दोषी ठहरा देते हैं लेकिन
कैसे अन्त्योदय या बी पी एल कार्ड के लिए परेशां रहते हैं चाहे हमारी आय निर्धारित आय से ज्यादा हो
मनरेगा के तहत हाजरी लगती है चाहे हम अपने खेत में कभी न गए हो . उस दिहाड़ी का आधा पैसा ग्राम प्रधान को सौंप देंगे
कुछ लोग विधवा पेंशन के लिए अपने पति को जीते जी मार डालते हैं.
मनरेगा के तहत हाजरी लगती है चाहे हम अपने खेत में कभी न गए हो . उस दिहाड़ी का आधा पैसा ग्राम प्रधान को सौंप देंगे
कुछ लोग विधवा पेंशन के लिए अपने पति को जीते जी मार डालते हैं.
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