बुधवार, 31 मार्च 2010

जरा सोचिये

जरा सोंचिये !

आज हम हर जगह फैले भ्रस्टाचार के लिए सरकार को दोषी ठहरा देते हैं लेकिन 

कैसे अन्त्योदय या बी पी एल कार्ड के लिए परेशां रहते हैं चाहे हमारी आय निर्धारित आय से ज्यादा हो

मनरेगा के तहत हाजरी लगती है चाहे हम अपने खेत में कभी न गए हो . उस दिहाड़ी का आधा पैसा ग्राम प्रधान को सौंप देंगे

कुछ लोग विधवा पेंशन के लिए अपने पति को जीते जी मार डालते हैं.

4 टिप्‍पणियां:

  1. jab swabhiman nasht ho jaye....jab usulon ko faltu samjha jane lagta hai to kisi samaj ka patan aise hi hota hai.......khair apka swagat hai...samkalin samsyaon ka smadhan dhodhne ka prayas bhi dikhe ...dhanywad...

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  2. Duniya aisehi bure bhale logon se bani hai..doosaron pe ungali uthana hamesha asan hai!

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  3. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  4. चिट्ठाजगत में आप का स्वागत है। सार्थक और सफल लेखन के लिए शुभकामनाएं...

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